591/2023
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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राम हनुमान
गीत के मान
हुआ बलिहार शुभम्।
शब्द हैं मौन
बताएँ भौन
भाव ही भाव अचल।
बहे ज्यों पौन
शब्द का गौन
लेखनी चल अविकल।।
किसे दूँ श्रेय
राम ही प्रेय
शब्द हों सदा शिवम्।
दया के सिंधु
दीन के बंधु
कमल - पद में वंदन।
सरिता सिरसा
है 'शुभम्' बसा
करे वह अभिनंदन।।
राम के गीत
बनें शुभ रीत
जगत में सुंदरतम।
'शुभम्' बलहीन
भाव से दीन
समर्पित गीत सभी।
कृपा का हाथ
लेखनी- माथ
न उठने लगे कभी।।
राम ही सत्य
यही है तथ्य
राम सत्यम् - सत्यम्।
●शुभमस्तु !
27.12.2023● 2.15प०मा०
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