597/2023
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●©शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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क्षमा याचना
करता भगवत
राम-चरण प्रणिपात।
मिला मुझे जो
शुभादेश तो
लिखे 'शुभम्' ने शब्द।
राम आपकी
कृपा मिली है
जीवन का प्रारब्ध।।
वरना मैं क्या
एक वर्ण भी
लिखता, नहीं बिसात।
पाँच दिवस में
कैसे कोई
लिखे राम का काव्य।
शब्द सुमन सब
राम नाम के
पाठक को हो भाव्य।।
तुम ही माता
पिता श्रेष्ठ गुरु
अघी मनुज की जात।
कौशल शिष्य
पुत्र भारत का
बहुत बड़ा है साथ।
प्रेरक वे हैं
मात्र लेखनी
रही राम की साथ।।
'शुभम्' भाव-
विगलित उर मेरा
सीता -सी मम मात।
●शुभमस्तु!
27.12.2023●9.30 प०मा०
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