शनिवार, 30 दिसंबर 2023

रोम- रोम से राम ● [ गीत ]

 588/2023

       

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●© शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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अनुदिन जप ले

रसना मेरी

रोम-रोम  से राम।


वादा करके

नहीं निभाया

गर्भान्तर  के बीच।

बाहर आया

भूल गया सब

रहा  काम को सीच।।


कनक तिजोरी

रही याद बस

गिनता   पैसा  दाम।


झूठमूठ के

नाटक तेरे

लीलाओं  की  गूँज।

कभी पहनता

रंग गेरुआ

कभी जनेऊ मूँज।।


ध्वनि विस्तारक

यंत्र चीखते

मुख से केवल श्याम।


यश का भूखा

रहा जन्म भर

किया नहीं उपकार।

दुनिया को तू 

दिखलाए नित

दौलत का आगार।।


महल दुमहले

ऊँचे -ऊँचे 

देते कब विश्राम।


● शुभमस्तु !


27.12.2023●10.30आ०मा०

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