शनिवार, 30 दिसंबर 2023

राम के गीत ● [ गीत ]

 594/2023


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●© शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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राम  के  गीत

हृदय के मीत

अयोध्या सारी गाए।


आज वन से

लौटे हैं राम 

पवन करता अभिनंदन।

बिछाए पलक

पाँवड़े पौर

करें कर  जोड़े  वंदन।।


युवा नर - नारि

मग्न मन आज

उल्लसित नहीं समाए।


दूर से आता 

देखा यान

सभी ने पुष्पक बोला।

गर्व से सब

माँओं   ने

उछलता हृदय टटोला।।


किसी ने थामी

माला किसी के

नयन सजल हो आए।


राम के साथ

लखन से वीर

व्रती पुरुषार्थ कमाया।

भक्त श्रेष्ठ

हनुमान खोज

कर सीता को लाया।।


पुरी अयोध्या

शून्य ,नहीं हैं

दरस दशरथ के पाए।


अब हैं राजा

 रामचंद्र जी

नहीं अब कुछ भी कहना!

कलरव करती

सरयू सरि को

 सु-मलयानिल में  बहना।।


बालक बाला

नाच - कूदते

हँस-हँस पुष्पक ओर सिधाए।

●शुभमस्तु!


27.12.2023●7.45प०मा०

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