566/2023
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●© डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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अलख जगाओ
शुभ वेला है
राम लला हैं आए।
राम जपो जी
राम जपो जी
घंटे शंख बजाओ।
पंचामृत से
नहला प्रभु को
उर में दीप जलाओ।।
घर-घर बजने
लगे बधावे
उर आनंद समाए।
नृत्य कर रहे
बहु नर - नारी
पायल झनके भारी।
सीता माता
मगन मौन हैं
शुचि मर्यादाचारी।।
बालक बूढ़े
सभी निरोगी
दृश्य देखने धाए।
देखो शिशु ने
नेत्र उघारे
बोल पड़ेंगे जैसे।
हाथ पाँव वे
चला रहे हैं
ऊपर नीचे ऐसे।।
बालाओं ने
हर्षित होकर
मंगल गीत सुनाए।
●शुभमस्तु !
24.12.2023●8.30प०मा०
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