590/2023
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
राम की राह
बना ले चाह
सफल हो मानव जीवन।
दिखाया वही
कर्म करणीय
मनुज को हितकारी।
चलाई वही
नीति वरणीय
तरण तारणहारी।।
नहीं था शौक
घूमते कु - पथ
बाँटते स्वर्णिम कन।
बने सविशेष
चले सन्मार्ग
ग्रहण साधारण पथ।
त्यागकर भोग
राजसी योग
कनक मंडित निज रथ।।
गेरुआ चीर
सिया को धीर
साथ में बंधु लखन।
राम की नीति
राज की रीति
कूट कटुता विहीन।
पाप को दंड
बने उद्दण्ड
नहीं मन कर मलीन।।
साम से साध
राम निर्बाध
बना निज जीवन धन।
● शुभमस्तु !
27.12.2023●1.00प०मा०
●●●●●
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें