595/2023
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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बीती घड़ियाँ
नहीं प्रतीक्षा
अब आते हैं राम।
सीता माता
साथ आ रहीं
विकल हुए सब नैन।
कैसे बीतें
घड़ियाँ बेकल
काटे कटे न रैन।।
आज न जाना
करें चाकरी
और न कोई काम।
विद्यालय को
हमें न जाना
खेतों को प्रस्थान।
स्वागत सभी
करेंगे मिलजुल
अभिनंदन सम्मान।।
जीवन भर तो
करना ही है
लगे नित्य ही झाम।
बार-बार ऐसे
क्षण आते हैं
कब कितनी ही बार।
ऐसा दिन क्षण
पहला अंतिम
बीतें वर्ष हजार।।
'शुभम्' न देखें
वर्षा पानी
शीत चिलचिली घाम।
● शुभमस्तु !
27.12.2023●8.30प०मा०
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