बुधवार, 13 दिसंबर 2023

धन्य हिमाचल देश का ● [दोहा ]

 532/2023

 

[रतजगा,प्रहरी,मलीन,उमंग,चुपचाप]

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●© शब्दकार

● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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           ● सब में एक ●

हर्षभरित  उपहार   ले, आया  है नववर्ष।

करें रतजगा हम  सभी,  पाएँ नव  उत्कर्ष।।

आई रात  सुहाग की,दूल्हा दुलहन  आज।

नींद न आए रात भर,सजा रतजगा- साज।


प्रहरी बन हिमवंत का, गौरवशाली   त्राण।

सैनिक भी  तैनात  हैं, होम रहे निज  प्राण।।

प्रहरी के  कर्तव्य  का,चुका न सकते  मोल।

धन्य हिमाचल देश का,सके न यद्यपि  बोल।।


मुख मलीन करना नहीं, करना हो  यदि  दान।

उर  अपना  निर्मल  रखें,तभी दान का   मान।।

अंतर का दर्पण  सदा, मुख  का पटल  अबाध।

मन मलीन यदि हो कभी,दिखता कृत अपराध।।


मन  में भरी उमंग हो, त्वरित शुभद  हों  काम।

पग  उठते   हैं  शीघ्र ही, पाता  काम   विराम।।

उर - उमंग साफल्य का,दर्पण 'शुभम् ' प्रतीक। 

तन-मन में दिखता सभी,फल मिलना है नीक।।


भेद न अपना खोलिए,करें शुभद जो   आप।

यात्रा - पथ पूरा करें,चल  गति  से चुपचाप।।

गाल   बजाते  हैं   नहीं, चलते  हैं चुपचाप।

जो   होते  हैं  वीरवर, निर्मल विमल  प्रताप।।

        ● एक में सब ●

करे  रतजगा  देशहित,प्रहरी बन   हिमवंत।

भर  उमंग चुपचाप  है,कब मलीन  हों  संत??


●शुभमस्तु !


13.12.2023●6.45आ०मा०

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