शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

राम -रस तुझे न भाया ● [ गीत ]

 556/2023


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●© शब्दकार

●  डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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राम - रस तुझे

न  भाया  मीत

कहाँ जा - जा भटका।


लाया कोरी

चादर तन की

रँगी काम  -रस रंग।

चखा न पल को

राम -कटोरा

किया रंग   में भंग।।


नौ - नौ रस का 

लोभी भँवरा

फूल -कामिनी अटका।


खाता खोला

चित्रगुप्त ने

मिला काम बस काम।

कभी भूल में

नहीं ले सका

सीतापति   का  नाम।।


गर्दभ योनि

मिली निर्णय में

धरती पर फिर पटका।


अरे !मूढ़ अब

भी भज ले तू

मिला राम  - रस पात।

बिंदु टपकते

राम -नाम के

दिन को समझ न रात।।


'शुभम्' सुन मूढ़

विचारें मन में

हुआ अब क्या खटका?


● शुभमस्तु !


22.12.2023●2.45प०मा०

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