531/2023
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● ©शब्दकार
● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्
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कर्म सदा ऐसे करें, मिले बधाई नित्य।
सदा शुभद परिणाम हों,चमके ज्यों आदित्य।।
विजय केतु फहरा रहा,धवल कीर्ति का पुंज।
सभी बधाई दे रहे, ज्यों मंदिर में गुंज।।
सबके मन में हर्ष का, उमड़ा पारावार।
मधुर बधाई गूँजती, नगर - नगर हर द्वार।।
सफल परीक्षा में हुए, हर्षित हैं हम मीत।
हृदय बधाई दे रहा, देख तुम्हारी जीत।।
नव परिणीता को मिलीं, सहस बधाई खूब।
खुशियाँ घर में छा गईं, ज्यों हरियाली दूब।।
नए वर्ष का आगमन, सबको हो शुभकार।
हृदय बधाई - मग्न है,ले लो बिना विचार।।
हम भी साझेदार हैं, तव खुशियों के मीत।
हृदय बधाई दे रहा, चुनकर शब्द पुनीत।।
स्वीकारें उद्गार ये, उर की वाणी मौन।
अनहद पावन नाद से, सजल बधाई पौन।।
आया था संसार में , मिलीं बधाई भव्य।
मात-पिता को पौरजन, पुष्पगुच्छ दे नव्य।।
हर्ष सफलता की घड़ी, जब आती शुभकार।
सुखद बधाई शब्द से,मिलता तब उपहार।।
हृदय- मिलन होता तभी,खुले सफलता - द्वार।
शब्द बधाई के सुनें,श्रुतियाँ बार हजार।।
●शुभमस्तु !
12.12.2023●9.00प०मा०
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