581/2023
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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रामनीति की
गौरव गरिमा
का कर लें सुविचार।
सीता- शांति
हरें नापाकी
भरत - वीर बेचैन।
पश्चिम से वे
आग फेंकते
मिला न सकते नैन।।
रावण - नाभि
जलाएँ राघव
खुला ब्रह्म का द्वार।
बिना न्याय के
नहीं जलाना
हमें शत्रु का बाल।
रामनीति ही
हमें चलानी
समझ शत्रु की चाल।।
बजरंगी हैं
सैनिक अपने
देंगे पल में मार।
जिन्हें पेट के
लाले अपने
माँग रहे जो भीख।
रामनीति से
विमुख सदा जो
कैसे देंगे सीख।।
नैतिकता से
हमें न हटना
करना उचित प्रहार।
●शुभमस्तु!
26.12.2023 ●4.00प०मा०
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