मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

राम-भजन की सुरसरिता ● [ गीत ]

 564/2023


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●© शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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राम -भजन की

सुरसरिता में 

गोता ले दिन-रात।


ऐसे खो जा

जैसे कोई 

मधुपाई   की  डूब।

रम जा ऐसे

जैसे जमती 

धरती पर नम दूब।।


तन का मन से

मेल साध ले

यद्यपि हो बरसात।


काया की ज्यों

छाया होती

रमे  राम  में मीत।

अलग नहीं हो

पल भर को भी

लगा राम से प्रीत।।


नहीं पाप का

समय मिलेगा

सत्वपूर्ण हो  गात।


शील विनय तू

सीख राम से

मर्यादा मत छोड़।

हर नारी से

माँ भगिनी का

अपना नाता जोड़।।


'शुभम्' मनुज की

देह मिली है

पंक उगा जलजात।


●शुभमस्तु !


24.12.2023● 6.45प०मा०

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