मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

राम सभी में ● [ गीत ]

 569/2023

 

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

●© शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

 राम सभी में

सभी राम में

अद्भुत अप्रतिम खेल।


तेरी रचना 

में तेरा क्या 

लगा  न  कौड़ी  दाम!

जन्म मृत्यु सब

हैं उसके वश

तू बस वस्तु ललाम।।


जड़ चेतन का

किसी घड़ी में 

मात्र एक शुभ मेल।


कर्ता समझा

तू अपने को

कर्ता  केवल  राम।

साँचा माटी 

का तू मानव

प्राण उसी का नाम।।


कब निकलेंगे

कौन जानता

उसके  हाथ नकेल।


निकला बाहर

मातृ- उदर से

भूला पिछली याद।

अनहद नाद न

पड़े सुनाई

बंद हुए संवाद।।


आडंबर में 

लिप्त जीव तू

रहा नरक को झेल।


●शुभमस्तु !


25.12.2023● 10.45आ०मा०

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...