583/2023
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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एक ठौर ही
आदर्शों के
एक रूप हैं राम।
आज्ञाकारी
पुत्र पिता के
सीता के पति श्रेष्ठ।
लखन भरत के
गौरव मय वे
भ्राताओं में ज्येष्ठ।।
पराक्रमी बल-
शाली योद्धा
वीतराग निष्काम।
सदाचार सच
के अनुगामी
वे विनम्र धर्मज्ञ।
न्यायशील वे
दृढ़प्रतिज्ञ नर
मानव पूर्ण कृतज्ञ।।
सदा प्रशंसक
गुण के ग्राहक
एक वही बस नाम।
राम राम - से
और न कोई
सकल जगत ब्रह्मांड।
मानव रूपी
अवतारी हैं
अक्षर अमर अखंड।।
एक -एक पद
अनुगमेय है
वहीं राम का धाम।
● शुभमस्तु!
26.12.2023●8.15प०मा०
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