585/2023
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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रामायण पढ़
पाठ कराया
ढोल मँजीरा गान।
प्रीतिभोज भी
भूल न पाया
यश भी लूटा खूब।
गया भिखारी
भूखा दर से
बने बड़े मंसूब।।
अहंकार की
रेल चला दी
भर-भर गाड़ी मान।
सुन रामायण
बना न कोई
भारत भर में राम?
भरत लखन की
बनी कहानी
भ्राता भाव न नाम।।
सीता जैसी
नारि एक भी
मिली न एक प्रमान।
जीवन में जब
राम नहीं तो
नाटक से क्या लाभ?
उनसे श्रेष्ठ
खड़ा मेड़ों पर
एक जंगली दाभ।।
सत्य कहा है
जन - जन तोले
बीस पसेरी धान।
● शुभमस्तु !
27.12.2023●6.45आ०मा०
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