शनिवार, 30 दिसंबर 2023

रामायण पढ़ ● [ गीत ]

 585/2023

     

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

●© शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

 रामायण पढ़

 पाठ कराया

ढोल मँजीरा गान।


प्रीतिभोज भी

भूल न पाया

यश भी लूटा खूब।

गया भिखारी

भूखा दर से

बने   बड़े  मंसूब।।


अहंकार की

रेल चला दी

भर-भर गाड़ी मान।


सुन रामायण

बना न कोई

भारत भर में राम?

भरत लखन की

बनी कहानी

भ्राता भाव न नाम।।


सीता जैसी

नारि एक भी

मिली न एक प्रमान।


जीवन में जब

राम नहीं तो

नाटक से क्या लाभ?

उनसे श्रेष्ठ

खड़ा मेड़ों पर

एक जंगली दाभ।।


सत्य कहा है

जन - जन तोले

बीस  पसेरी  धान।


● शुभमस्तु !


27.12.2023●6.45आ०मा०

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...