522/2023
[मार्गशीर्ष,हेमंत,अदरक,चाय,रजाई]
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● ©शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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● सब में एक ●
श्रीकृष्ण-प्रिय मास है,मार्गशीर्ष शुभ मीत।
सब पापों से मुक्ति को,गाएँ प्रभु के गीत।।
मार्गशीर्ष पावन बड़ा, गीता में भगवान।
वास यहीं मेरा रहे , कहते कृपानिधान।।
ऋतु आई हेमंत की,कार्तिक अगहन मास।
पावनता इसमें भरी,स्वर्णिम सजल उजास।।
रोचक ऋतु हेमंत की,हिम का होता अंत।
ग्रीष्म न पावस सोहती,शोभित नहीं वसंत।।
शीतलता बढ़ने लगी, अदरक लें भरपूर।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़े, सूजन मितली दूर।।
अदरक का गुण है यही, रक्त - शर्करा न्यून।
करता पाचन ठीक ये, बढ़ती शक्ति इम्यून।।
चीन देश से विश्व में, फैल गई ये चाय।
स्वागत घर - घर चाय से,उत्तम एक उपाय।।
नींद,दाँत,दिल की करे,सदा हानि ये चाय।
सभी जानते तथ्य ये,फिर भी करें न बाय।।
हुआ आगमन शीत का,थर-थर काँपे गात।
निकल रजाई आ गई, देती उसको मात।।
कठिन शीत उपचार का,साधन सुंदर एक।
सभी रजाई ओढ़ते, बिस्तर में ले टेक।।
● एक में सब ●
मार्गशीर्ष हेमंत ऋतु,ले अदरक की चाय।
ओढ़ रजाई बैठ जा,कितना श्रेष्ठ उपाय।।
●शुभमस्तु !
06.12.2023●7.00आ०मा०
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