मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

दो आखर के राम नाम का ● [ गीत ]

 575/2023

 

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●© शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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दो आखर के

राम नाम का

सीधा सरल स्वभाव।


अगजग रमता

राम सुरीला

कण-कण जिसका वास।

कविता की प्रति

पंक्ति परस्पर

जुड़ी   राम -  विश्वास।।


आखर - आखर

शब्द -शब्द में

मात्र  राम  का चाव।


राम छंद है

राम बंध है

 अलंकार भी राम।

यति गति लय भी

राम नाम ही

वहीं राम का धाम।।


पढ़ता रुचि से

जो कविता को

भर देता हर घाव।


कबिरा तुलसी

सूरदास ने 

कविता की अभिराम।

कालिदास ने 

सहित लिखा जो

हुआ जगत में नाम।।


आज 'शुभम्' ने

उसी राम से

डाला काव्य-प्रभाव।


●शुभमस्तु !


26.12.2023●7.15आ०मा०

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