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●© शब्दकार
● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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बनी योजना एक, सफल कसौटी आपकी।
कर्म करे सविवेक, लहराती ऊपर ध्वजा।।
चले नहीं संसार, बिना योजना बद्ध हो।
प्रसरित जगदाकार, प्रकृति योजनाकार है।।
बना योजना नेक,कर्ता सबका एक है।
करे कर्म सविवेक, ध्वंश और निर्माण के।।
जब चाहें प्रभु राम, पत्र एक हिलता तभी।
क्या उत्तर क्या वाम,क्या है उनकी योजना।।
एक योजना नेक, मातु शारदा की बनी।
भगवत का सविवेक,'शुभम्' नाम प्रख्यात हो।।
करते जो सम्पन्न, बना योजना काम को।
मन भी रहे न खिन्न,मिले सफलता शीघ्र ही।।
करते हैं जो काम, पहले सोच - विचार कर।
मिलता अति आराम, सफल योजना हो तभी।।
बना योजना आप, दिवस ,मास या वर्ष की।
नहीं मिले संताप, तदनुकूल उस पर चलें।।
बिगड़ें उनके काम, बिना योजना के चलें।
नष्ट समय सह दाम,मनमानी अनुचित सदा।।
चलती है सरकार, बना योजना देश की।
बढ़ता करोबार, बजट बनाते वर्ष का।।
करें बुद्धि -उपयोग, बुद्धिमान मानव सभी।
तन- मन रहे निरोग, चलें योजना को बना।।
●शुभमस्तु !
21.12.2023●12.30प०मा०
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