562/2023
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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पूरा भारत
पुरी अयोध्या
राम नाम का मेह।
राम- रंग की
होती होली
घर - घर जलते दीप।
स्वाति बूँद की
वर्षा होती
मुक्ता बनते सीप।।
हंसासन पर
बैठ शारदा
गातीं गीत विदेह।
हनुमत जैसे
भक्त राम के
जपते अनुदिन राम।
राम - राम से
नमन परस्पर
सुधरें बिगड़े काम।।
लखन भरत सम
अनुज राम के
बरसाते बस नेह।
विजयादशमी
विजय पर्व है
रक्षक हैं प्रभु राम।
विश्व विजय की
सजे पताका
करता 'शुभम्' प्रणाम।
सीता माँ का
शुभाशीष नित
बरसे दर-दर गेह।
●शुभमस्तु !
24.12.2023● 3.45प०मा०
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