571/2023
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●©शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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राम लला का
स्वागत करने
हम बैठे तैयार।
पलक पाँवड़े
बिछा राह में
अगवानी शुभ काल।
कब आएगी
घड़ी प्रतीक्षित
भानु उगेगा लाल।।
बहने लगी
सुहृद मकरंदी
पावन प्रीति बयार।
बने पालना
मलय काष्ठ का
कोमल रेशम डोर।
नर्म गुदगुदा
लाल बिछौना
सुरभित होगी भोर।।
केशर वाला
दुग्ध सुगंधित
ज्यों शशि का उजियार।
लोरी सुन -सुन
सोएँ लालन
माँ कौशल्या अंक।
राम-महल में
विचरें निधड़क
माता रहें निशंक।।
दशरथ जनक
दुलारें गोदी
लुटा हृदय का प्यार।
● शुभमस्तु!
25.12.2023● 2.15प०मा०
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