रविवार, 14 दिसंबर 2025

नव ऊर्जा संचार [ दोहा ]

 734/2025

      

      

[उत्साह,जोश,उमंग,साहस,हौसला]


 ©शब्दकार

डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'


                सब में एक

काम   करे उत्साह  से,होता  शुभ परिणाम।

नव  ऊर्जा  संचार  हो, जग  में  चमके नाम।।

जब तक करना काज हो,मत खोना उत्साह।

जो भी  देखे  आपको,  कहे   वाह  ही वाह।।


यौवन  में   निज जोश को,मत  होने  दें  मंद।

सत पथ पर बढ़ते रहें,त्याग सभी छल-छंद।।

जोश जहाँ   ढीला   पड़ा, होता है गतिरोध।

सुफल बने  संदिग्ध  ही,बचे  न तरु न्यग्रोध।।


जब तक   शेष उमंग है,तब तक आशा शेष।

अश्व बनें  गर्दभ    सभी,   चलें   न जैसे मेष।।

यौवन  भरा   उमंग  से,दिखलाए चमकार।

ढलता  यौवन  देह  का, खोता सदा बहार।।


साहस सैनिक  के लिए,चमत्कार का रूप।

शत्रु  विनाशे  जोश में,  रण प्रांगण का भूप।।

साहस ही रिपु जीतता, करे  देश का नाम।

कदम नहीं पीछे हटे, हिम   न  सताए घाम।।


बढ़े     हौसला  वीर   का,डटे  युद्ध मैदान।

छंद पढ़ें कवि ओज  के,बन जाता हनुमान।।

जब तक जिंदा हौसला,सके न मानव हार।

प्रेरक   ऐसा   चाहिए, करे  प्रबल उपकार।।


                 एक में सब

साहस जोश उमंग से,जीवित है उत्साह।

बढ़े हौसला व्यक्ति का,घटे न देह-उछाह।।


शुभमस्तु !


14.12.2025●9.00 आ०मा०

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