728/ 2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
वीणापाणि ज्ञानदा माता।
भगवत 'शुभम्' चरण में ध्याता।।
इंद्रधनुष के रंग खिलाओ।
कवि-उर में माँ भाव जगाओ।।
छंद - अछन्द काव्य की वाणी।
सहज उकेरो माँ कल्याणी।।
करता है यह कवि जगराता।
वीणापाणि ज्ञानदा माता।।
नव रस नव लय छंद हरे हों।
सप्त रंग के ढँग उभरे हों।।
जन्म - जन्म का माँ से नाता।
वीणापाणि ज्ञानदा माता।।
उज्ज्वल मति नित रहे हमारी।
करें वंदना मातु तुम्हारी।।
भक्त चरण में शीश नवाता।
वीणापाणि ज्ञानदा माता।।
वागीश्वरी 'शुभम्' सुत तेरा।
मिटा हृदय में बसा अँधेरा।।
मातु भारती तव गुण गाता।
वीणापाणि ज्ञानदा माता।।
नौसिखुआ माँ मुझे सिखाओ।
जीवन का सतपथ दिखलाओ।।
वरप्रदायै शुचि श्री प्रदाता।
वीणापाणि शारदा माता।।
जन हितकारी काव्य कराएँ।
जन गण के मन को जो भाएँ।।
किसे न वीणा गान सुहाता।
वीणापाणि ज्ञानदा माता।
शुभमस्तु !
11.12.2025●4.45प०मा०
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