शुक्रवार, 12 दिसंबर 2025

वादा [ कुंडलिया ]

 731/2025


                   


©शब्दकार

डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'


                            -1-

करना   वह  वादा  नहीं, चले अगर विपरीत।

यदि   होना   निर्वाह तो, करना  वही सप्रीत।।

करना वही    सप्रीत,  अमिट   विश्वास बनाएँ।

भूलें   नहीं  अतीत,नेह   की  ज्योति जगाएँ।।

'शुभम्' रहो तुम  याद, उसी   का जादू भरना।

वादा  रहे  अटूट,   वही    तुम   वादा   करना।।


                          -2-

खंडित    हो  वादा  अगर, करें न जन विश्वास।

दुनिया में होता  सदा, उस  नर  का उपहास।।

उस नर का  उपहास ,मान  जग में  घट जाए।

जाता  वह जिस ठौर, वहीं पर बहुत लजाए।।

'शुभम्'  रखें यह ध्यान, रहे शुभ महिमा मंडित।

करे न   ऐसे  काम ,  कभी   हो   वादा खंडित।।


                            -3-

करते  हैं   वादे       बड़े, नेतागण   जन बीच।

नहीं   निभाते   किंतु    वे,  बने   हुए मारीच।।

बने  हुए    मारीच,   हिरन-सा    रंग बदलते।

कहते   हैं  कुछ   और,राह  उलटी ही चलते।।

'शुभम्' उठे  विश्वास,काज उनसे कब   सरते।

जग में  हों   बदनाम, झूठ   वादा  जो करते।।


                           -4-

होता    नर     वादा-धनी,   वही  निभाए बात।

आपस में करता नहीं,  कभी  घात - प्रतिघात।।

कभी   घात-प्रतिघात, अटल  विश्वास बनाता।

कर   सुख की बरसात, नेह का  घन बरसाता।।

'शुभम्' सदा  वह बीज,फूल-फल  के ही बोता।

कहता  मैं    नाचीज़,  धनी    वादे    का होता।।


                         -5-

खोता है   विश्वास  जो, उसे  न   चाहें   लोग।

वादा भी करता   कभी, पूर्ण  नहीं शुभ योग।।

पूर्ण   नहीं   शुभ   योग, भूल जाते जन सारे।

फिरता   है   सर्वत्र, वही   नर     बना किनारे।।

'शुभम्'  शून्य विश्वास, मनुज एकल हो रोता।

वादा   करे    निराश, मान  जग में वह खोता।।


शुभमस्तु !


12.12.2025● 7.00 आ०मा०

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