सोमवार, 15 दिसंबर 2025

पकड़ झुनझुना बैठी जनता [ सजल ]

 738/2025


      

[समांत:अन।पदांत:में। मात्राभार:16. मात्रा पतन:शून्य]


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


नेताहार    नहीं     है    वन   में।

सेंधमार   की   जनता-धन   में।।


पकड़   झुनझुना  बैठी   जनता।

छिपा  हुआ क्या   नेता-मन  में!!


पौष-माघ की   तुहिन   बरसती।

कान  न सुनते कुछ  सन-सन में।।


मिले  कमीशन  हो   विकास तब।

जान  पड़े   तब   ही  इस  तन में।।


किरकिट   का   मैदान   देश    ये।

कौन  बढ़े  आगे    नित  रन   में।।


नारे    बंद       न     होने     पाएँ।

भरना यही भाव    जन-जन   में।।


'शुभम्'  बढ़े  सब नेता सब आगे।

देश  खड़ा    प्रभु    के  वंदन   में।।


शुभमस्तु !


15.12.2025●2.00आ०मा०

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