250/2025
समांत : आन
पदांत :अपदांत
मात्राभार :24
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
हैं कृतघ्न जो देश में, कभी न करते मान।
निष्ठा श्रद्धा शून्य वे, मूढ़ क्रूर नादान।।
एक जाति या धर्म के, जासूसी कर नित्य।
घूमें पाकिस्तान में, छिपा गूढ़ पहचान।।
घर के भेदी देश को,लूट रहे कुछ आज।
ज्योति अँधेरी हो गई, दानिश की दीवान ।।
पहलगाम के रक्त का, लेना है प्रतिशोध।
चुन-चुन कर अरि मारने,सैनिक वीर महान।।
खाते वे इस देश का, दफ़न इसी में रोज।
तिल भर निष्ठा हीन वे,देशद्रोह की खान।।
अन्न दवा सब मुफ़्त में, इन्हें चाहिए मीत।
पर निष्ठा के नाम पर, करें पाक गुणगान।।
'शुभम्' मिलें सौ योनियाँ,मच्छर वृश्चिक नाग।
कसम उन्हें निष्ठा नहीं, जैसे वायु अपान।।
शुभमस्तु !
04.06.2025●1.30प0मा0
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