292/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
करें वनों की हम रखवाली।
बन पेड़ों के सब वनमाली।।
प्रकृति सब पेड़ों को बोती।
धरती पर हरियाली होती।।
होती है छवि सुघर निराली।
करें वनों की हम रखवाली।।
फल औषधियाँ हमको देते।
कंद- मूल वन पादप जेते।।
गाते खग पल्लव दें ताली।
करें वनों की हम रखवाली।।
जीव - जंतु बहुतेरे होते।
माँद बनाकर सुख से सोते।।
नहीं चलाएँ वहाँ दुनाली।
करें वनों की हम रखवाली।।
सघन वनों से वर्षा होती।
बूँद -बूँद अमृत कण बोती।।
भरी रहे कुदरत की थाली।
करें वनों की हम रखवाली।।
आओ हम सब वृक्ष लगाएँ।
प्रकृति के संग कदम मिलाएँ।।
रहे न कोई मानव खाली।
करें वनों की हम रखवाली।।
शुभमस्तु !
27.06.2025 ●1.45 प०मा०
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