277/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
स्वर्ग भी तुमने बनाया
नर्क भी तुमने बनाया
फिर नर्क पुरजोर क्यों है?
चाहती हो स्वर्ग में बस
आशियाना
तुम बनाओ
मंजिलें नर्कों की
ढूंढों
रास्ते उनके सजाओ
इश्क की
पगडंडियों में
पति तुम्हारा चोर क्यों है?
ढूंढ़ती कोई
ड्रमों को
एक मेघालय सिधाई
चार दिन की
चाँदनी भी
सोनमों को कब सुहाई
भरती नहीं
सुंदर उजाला
तम यहाँ घनघोर क्यों है?
शूकरी की योनि
मिलती
जन्म भी लेना वहीं था
मानवी की देह धारे
धरणि पर आना नहीं था
आज कल
परसों यहाँ
तू ही बता ये शोर क्यों है?
देवियों की
देह में ये
म्लेच्छनी आई कहाँ से
हवस की
अंधी पुजारिन
सोनमें मिलतीं जहाँ से
शांत नारी
देश भारत
आज काली भोर क्यों है?
शुभमस्तु !
25.06.2025●2.00आ०मा०
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[2:51 pm, 25/6/2025] DR BHAGWAT SWAROOP:
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