रविवार, 29 जून 2025

अग्नि अनल हैं देव हमारे [बालगीत]

 310/2025


    


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


अग्नि      अनल   हैं   देव     हमारे।

करते     सबकी     शुद्धि    सुधारे।।


बहुत   उग्र       है    तेज    तुम्हारा।

नहीं   किसी  से    जाय    सँवारा।।

स्वयं     नियंत्रण     करें     सदा  रे।

अग्नि  अनल    हैं    देव    हमारे।।


पंच     तत्त्व  में    एक   तुम्हीं   हो।

दृष्ट  कहीं    अदृश्य     कहीं    हो।।

लघु   माचिस  में  रूप    छिपा  रे।

अग्नि    अनल   हैं    देव    हमारे।।


भोजन   भी     तो    तुम्हीं   पचाते।

बड़वानल   में      रूप     दिखाते।।

जड़- चेतन    के    अटल    सहारे।

अग्नि  अनल    हैं    देव     हमारे।।


तुम्हीं      हवन     पूजा   में   रहते।

पावक    और    हुताशन    कहते।।

जाता  क्रोध   न   कभी     सँभारे।

अग्नि    अनल    हैं    देव  हमारे।।


अंतिम   समय   मनुज   का आता।

करो  राख  तन   श्वास    विलाता।।

शरण     तुम्हारी     देह    मृदा   रे।

अग्नि    अनल    हैं   देव    हमारे।।


शुभमस्तु !


29.06.2025●11.45आ०मा०

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