रविवार, 1 जून 2025

नर -नारी वे धन्य हैं [ दोहा गीतिका]

 231/2025

           

*©शब्दकार*

*डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'*


नर-नारी  वे  धन्य   हैं, जिएं सहित अनुराग।

आन  मान  सम्मान का,जागे नवल सुहाग।।


जीवन वह जीवन नहीं,बजे फटा ज्यों ढोल,

काँव-काँव   करता  रहे, भरे काँव से   बाग।


मिले   पड़ौसी  ठीक  तो,सोए  चादर   तान,

बुरा  पड़ौसी   यदि   मिले,रहे लगाता  आग।


झूठे     धोखेबाज   की,   संगति   है दुर्भाग्य,

भोला    बने   कपोत-सा, करनी में हैं दाग ।


भारत - पाकिस्तान  का, होगा कभी  न  मेल,

धोखे   में    रहना  नहीं, रहो सदा ही   जाग।


उचित  रहा  प्रतिशोध  ये,  शल्यकर्म  सिंदूर,

धुआँ-धुँआ अब पाक है,फुफकारा जो नाग।


युगल व्योमिका सोफिया,करती रहीं कमाल,

'शुभम्' विश्व  में देश ने, हनन किया दुर  छाग।


शुभमस्तु !


12.05.2025●6.15 आ०मा०

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