233/2025
समांत : अटे
पदांत :अपदांत
मात्राभार :14
मात्रा पतन :शून्य
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
न हो परस्पर कटे - कटे।
बिना संगठन रहो घटे।।
मेल एकता प्रिय संवाद।
सिखलाते सत से न हटे।।
विमुख सनातन से मत हो।
उचित नहीं है मनुज बटे।।
करनी पर ही देना ध्यान।
रहो सभी नर साथ सटे।।
दृढ़ संकल्प रहे मन में।
चमको जग में छटे - छटे।।
कथनी करनी एक रहें।
पल को भी मन क्यों उचटे ।।
'शुभम्' अहं का त्याग करें।
रहो सत्य पर सदा डटे।।
शुभमस्तु !
19.05.2025● 5.15आ०मा०
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