रविवार, 1 जून 2025

नाग-नेवला सब ही मिलते [ सजल ]

 239/2025

      

समांत        : आते

पदांत         : अपदांत

मात्राभार     :16

मात्रा पतन   :शून्य


©शब्दकार

©डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मिल   जाते    हैं      आते - जाते।

मनुज सभी   हमको  न   सुहाते।।


नाग - नेवला   सब   ही   मिलते।

अत्याचार   मनुज    पर    ढाते।।


पहलगाम  भी    देख   लिया   है।

दनुज    वहाँ     गोली   बरसाते।।


बड़े  भाग्यशाली    हैं    वे   जन।

बीते       जीवन     गाते - गाते।।


पता   नहीं  है    दशा    देश  की।

धूनी   में    निज   ध्यान   रमाते।।


मद  में  चूर  पड़े   हैं   कुछ   तो।

जिन्हें  न   भारतवासी     भाते।।


'शुभम्'  रसातल    में   है भारत।

नेता     खड़े    तानकर     छाते।।


शुभमस्तु!


26.05.2025●5.00आ

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