239/2025
समांत : आते
पदांत : अपदांत
मात्राभार :16
मात्रा पतन :शून्य
©शब्दकार
©डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
मिल जाते हैं आते - जाते।
मनुज सभी हमको न सुहाते।।
नाग - नेवला सब ही मिलते।
अत्याचार मनुज पर ढाते।।
पहलगाम भी देख लिया है।
दनुज वहाँ गोली बरसाते।।
बड़े भाग्यशाली हैं वे जन।
बीते जीवन गाते - गाते।।
पता नहीं है दशा देश की।
धूनी में निज ध्यान रमाते।।
मद में चूर पड़े हैं कुछ तो।
जिन्हें न भारतवासी भाते।।
'शुभम्' रसातल में है भारत।
नेता खड़े तानकर छाते।।
शुभमस्तु!
26.05.2025●5.00आ
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