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©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्म'
सदा स्वच्छता अपना नारा।
स्वच्छ रहे घर द्वार हमारा।।
सुबह उठें घर द्वार बुहारें।
नहीं आज का कल पर टारें ।।
घर को रखना सजा - सँवारा।
सदा स्वच्छता अपना नारा।।
कूड़ेदान सभी को रखना।
मिश्रित नहीं सभी को करना।।
गीला सूखा डाल निनारा।
सदा स्वच्छता अपना नारा।।
नगरपालिका वाली गाड़ी।
देखो वहाँ सड़क पर ठाड़ी।।
जिसका हॉरन बजता प्यारा।
सदा स्वच्छता अपना नारा।।
कचरा वाला आया आओ।
घर का कचरा इसमें लाओ।।
पशु को खिला न गदला चारा।
सदा स्वच्छता अपना नारा।।
'शुभम्' देश को स्वच्छ बनाएँ।
श्रेष्ठ नागरिक सभी कहाएँ।।
रोगमुक्त हो भारत सारा।
सदा स्वच्छता अपना नारा।।
शुभमस्तु!
23.06.2025●3.15प०मा०
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