शुक्रवार, 27 जून 2025

नदियों में क्यों खुलते नाले [ बालगीत ]

 290/2025


   

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


नदियों    में   क्यों    खुलते    नाले!

सरिता   जल   हैं     काले - काले!!


मानव   को   क्यों  समझ  नहीं  है।

जो   करते  वह   सभी  सही  है ??

जैसे  भी     निज    काम  निकाले।

नदियों   में    क्यों    खुलते   नाले।।


हो    प्रयाग    मथुरा   या   दिल्ली।

शहर  आगरा   की   हर    बिल्ली।।

मैला     सकल     नदी    में   डाले।

नदियों    में    क्यों   खुलते  नाले।।


चमड़ा    जहर     रसायन    पानी।

नहीं  कहीं कुछ    भी   निगरानी।।

पावनता    पर       पड़ते     ताले।

नदियों   में  क्यों     खुलते   नाले।।


नदियों      को      कहते    माताएँ।

दूषित    करते      खूब     निभाएं।।

पड़े      हुए      आँखों  पर    जाले।

नदियों    में    क्यों   खुलते   नाले।।


करते     क्या     उपदेशक      सारे।

बने     हुए   हैं       सब      बेचारे।।

स्वयं  ढले    जनता     को     ढाले।

नदियों    में    क्यों   खुलते  नाले।।


शुभमस्तु !


27.06.2025●10.00आ०मा०

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