307/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
गाल बजाना गाली होता।
मुख - वाणी का दूषण बोता।।
मुख को अपने स्वच्छ बनाएँ।
दें न गालियाँ गाली खाएँ।।
गाली देने वाला रोता।
मुख -वाणी का दूषण बोता।।
माँ बहनों को गाली छूती।
श्लील कहें मारें मत जूती।।
अपमानित हो खाए गोता।
मुख -वाणी का दूषण बोता।।
शुभ बोलें शुभ ही बुलवाएं।
कटु वाणी से सहज बचाएँ।।
काटें बात न बनें सरौता।
मुख -वाणी का दूषण बोता।।
तेज बोलना लगती गाली।
गोली - सी लगती कर - ताली।।
मोर नहीं पिक मुर्गा तोता।
मुख - वाणी का दूषण बोता।।
आओ जीभ स्वच्छ हम कर लें।
शुभ उच्चारें कहीं विचर लें।।
खुलता तब मुख - अमृत सोता।
मुख -वाणी का दूषण बोता।।
शुभमस्तु !
29.06.2025●8.30आ०मा०
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