रविवार, 1 जून 2025

सिद्ध नाम सिद्धार्थ [दोहा ]

 232/2025

          

[अहिंसा,निर्वाण,सिद्धार्थ,तथागत,बुद्ध]


*©शब्दकार*

*डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्*


               _सब में एक_

दानवता   बढ़ने   लगी, मनुज  हुआ है  क्रूर।

शांति  *अहिंसा*  चाहिए,  तभी दिखेगा   नूर।।

दिया  बुद्ध ने  विश्व  को, एक  अटल  संदेश।

सदा  *अहिंसा*   श्रेष्ठ   है,हटें  नहीं   लवलेश।।


सत्य    धर्म  की   राह पर,चलना है अनिवार्य।

सहज   तभी  *निर्वाण*   है,कर अष्टांग  सुकार्य।।

कठिन  तपस्या   कर्म से,प्राप्त किया  *निर्वाण*।

बुद्ध   तपस्वी  ने  दिए,सुखा  गात निज  प्राण।।


प्रण  हो  यदि *सिद्धार्थ* -सा,नहीं असंभव लक्ष्य।

रहें   सात्वकी  वृत्तियाँ,  खाना   नहीं   अभक्ष्य।।

शुद्धोधन   के  पुत्र  का,  एक   नाम *सिद्धार्थ*।

सही  अर्थ  में  सिद्ध  है, किया जगत-परमार्थ।।


'ऐसा    ही   है  है  वही',   वही *तथागत*   बुद्ध। 

राग  - द्वेष   से  है  परे, नहीं किसी   से   क्रुद्ध।।

लक्ष्य  उच्चतम  प्राप्त  कर, बने *तथागत* बुद्ध।

शांति  अहिंसा  मंत्र से,जन मानस कर   शुद्ध।।


*बुद्ध*   नवम   अवतार     हैं,  धरे तपस्वी   वेश।

राजपाट  गृह   त्यागकर,   दिया अमर   संदेश।।

तन- मन से जो  शुद्ध है,बने सफल  वह  *बुद्ध*।

सत पथ उसका लक्ष्य है,विरत करे जो   युद्ध।।


                       _एक में सब_

*बुद्ध   तथागत*  ने किया,नाम सिद्ध *सिद्धार्थ*।

तप की अपनी शक्ति से,जगती का परमार्थ।।


शुभमस्तु !


14.05.2025●5.15आ०मा०

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