शुक्रवार, 27 जून 2025

ऊँचे गिरि रत्नाकर सारे [ बालगीत ]

 293/ 2025


       ऊँचे गिरि रत्नाकर सारे

                  [ बालगीत ]


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


ऊँचे       गिरि      रत्नाकर     सारे।

जन - जीवों     के    रक्षक   प्यारे।।


पर्वत    पर    जब     कोई    जाएँ। 

वहाँ   न  कचरा    तनिक   गिराएँ।।

वे     हैं     सारे      मनुज     सहारे।

ऊँचे       गिरि     रत्नाकर    सारे।।


उच्च     हिमाचल     वर्षा    लाता।

औषधि    का    भंडार    सजाता।।

लगते     निकट     वहाँ   से   तारे।

ऊँचे    गिरि      रत्नाकर     सारे।।


उगते     वहाँ     बूटियाँ     तरुवर।

जग में वह   कहलाता    गिरिवर।।

छोटे -  बड़ें    अन्य    गिरि     हारे।

ऊँचे     गिरि     रत्नाकर     सारे।।


करें    स्वच्छता    और    सफाई।

दूषण  की   मत   फटके    काई।।

पिकनिक  मना न   गदला  ला रे।

ऊँचे     गिरि     रत्नाकर     सारे।।


गिरिवर  -  से    ऊँचे    बन   जाएँ ।

जब  ऊँचे   कुछ    काज   कराएँ।।

सरिता  स्रोत     नहीं   जल   खारे।

ऊँचे     गिरि     रत्नाकर      सारे।।


शुभमस्तु !


27.06.2025●2.15प०मा०

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