259/2025
समांत :आन
पदांत : अपदांत
मात्राभार :24.
मात्रा पतन :शून्य
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
पिता पिता - से एक हैं,अन्य न पिता समान।
माँ धरती आकाश वे, संतति के भगवान।।
रहते पिता अभाव में, पर संतति हित भूप।
'नहीं' कभी कहते नहीं,तन-मन धन दें जान।।
नभ जैसा विस्तार है,अनुपम पिता स्वरूप।
जितना भी कम है सदा,पितुवर का गुणगान।।
ब्रह्मा वे वे विष्णु हैं, अवढर दानी एक।
गुरुवर वे सन्मार्ग का, दीपक ज्योति प्रमान।।
पिता स्वर्ग भू धाम में, सब सुख का भंडार।
वे सस्वर संगीत-से, वे गृहगीत महान।।
भाग्यवान संतति वही, जिनके वे सर्वस्व।
कहे और को बाप जो ,कटे नाक दो कान।।
'शुभम्' कभी करना नहीं, पितुराज्ञा को भंग।
इच्छा ही आदेश हो, संतति बने उदान।।
शुभमस्तु !
15.06.2025● 11.30प०मा०
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