240/2025
©शब्दकार
©डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
मिल जाते हैं आते - जाते।
मनुज सभी हमको न सुहाते।।
नाग - नेवला सब ही मिलते,
अत्याचार मनुज पर ढाते।
पहलगाम भी देख लिया है,
दनुज वहाँ गोली बरसाते।
बड़े भाग्यशाली हैं वे जन,
बीते जीवन गाते - गाते।
पता नहीं है दशा देश की,
धूनी में निज ध्यान रमाते।
मद में चूर पड़े हैं कुछ तो,
जिन्हें न भारतवासी भाते।
'शुभम्' रसातल में है भारत,
नेता खड़े तानकर छाते।
शुभमस्तु!
26.05.2025●5.00आ०मा०
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5:16 am
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