रविवार, 1 जून 2025

नेता खड़े तानकर छाते [ गीतिका ]

 240/2025

   


©शब्दकार

©डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मिल   जाते    हैं      आते - जाते।

मनुज सभी   हमको  न   सुहाते।।


नाग - नेवला   सब   ही   मिलते,

अत्याचार   मनुज    पर    ढाते।


पहलगाम  भी    देख   लिया   है,

दनुज    वहाँ     गोली   बरसाते।


बड़े  भाग्यशाली    हैं    वे   जन,

बीते       जीवन     गाते - गाते।


पता   नहीं  है    दशा    देश  की,

धूनी   में    निज   ध्यान   रमाते।


मद  में  चूर  पड़े   हैं   कुछ   तो,

जिन्हें  न   भारतवासी     भाते।


'शुभम्'  रसातल    में   है भारत,

नेता     खड़े    तानकर     छाते।


शुभमस्तु!


26.05.2025●5.00आ०मा०

                  ●●●

5:16 am


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