रविवार, 29 जून 2025

शुद्ध स्वच्छ हो अगर रसोई [बालगीत]

 301/2025 


   


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


शुद्ध     स्वच्छ    हो   अगर   रसोई।

रोग    न    वहाँ     रुकेगा     कोई।।


सब्जी    चावल    दाल     पकाओ।

कुछ भी किंतु    स्वच्छता   लाओ।।

शुद्ध    तवा    हो      या    बटलोई।

शुद्ध   स्वच्छ   हो   अगर    रसोई।।


नहीं     रसायन    साबुन     लाना।

सदा  स्वच्छता     से    मंजवाना।।

ऐसा  यत्न    करें    सब       कोई।

शुद्ध  स्वच्छ हो     अगर    रसोई।।


धन   की     देवी     रमा    हमारी।

बसतीं    जहाँ     शुद्धता   न्यारी।।

बिखराना   मत    छिलका   छोई।

शुद्ध  स्वच्छ    हो   अगर   रसोई।।


 गूँथें    आटा    जितनी       आसा।

जितना    खाएँ    बचे   न   बासा।।

जूठन    छोड़    न     पाए    कोई।

शुद्ध  स्वच्छ    हो   अगर    रसोई।।


फ़्रिज  में  रखा  न  भोजन करना।

नहीं स्वास्थ्य निज बल   संहरना।। 

रखें   पात्र    सब     अपने    धोई।

शुद्ध  स्वच्छ  हो    अगर    रसोई।।


शुभमस्तु !


28.06.2025●6.45प०मा०

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