रविवार, 29 जून 2025

कपड़े भी पहचान हमारी [ बालगीत ]

 308 /2025


        

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


कपड़े     भी      पहचान     हमारी।

कौन    विवाहित   कौन    कुमारी।।


कपड़ों     में     चरित्र   की   छाया।

सजती  - धजती है   नित    काया।।

धन्य - धन्य   तन -  सज्जा    सारी।

कपड़े    भी      पहचान    हमारी।।


शूकर    श्वान   न     कपड़े    पहनें।

पहनें    नर - नारी     माँ      बहनें।।

लगतीं    हैं    वे    कितनी    प्यारी।

कपड़े    भी      पहचान    हमारी।।


पुलिस     डॉक्टर     नर्स    सुवेशा।

दीर्घ  नारि   के   सघनित    केशा।।

निर्धारित    हैं        सोच - विचारी।

कपड़े     भी    पहचान     हमारी।।


साधु  - संत   के   वसन    सजीले।

चीवर     लाल     गेरुआ      पीले।।

सकल     साधना      की    तैयारी।

कपड़े    भी    पहचान     हमारी।।


पहनें    वही     वसन   जो    भाए।

पहन वसन    क्यों    जन  इतराए।।

स्वच्छ    धुले     की     चर्चा   न्यारी। 

कपड़े     भी     पहचान     हमारी।।


शुभमस्तु !


29.06.2025● 9.15 आ०मा०

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