289/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
शव सरिता में नहीं बहाएँ।
पावन सरिता सभी बनाएँ।।
गंगा यमुना सरयू बहतीं।
मौन धरा पर कलकल कहतीं।।
दूषण से हम उन्हें बचाएँ।
शव सरिता में नहीं बहाएँ।।
संक्रामक रोगों से मरता।
रोग फैलता जीवन हरता।।
कैसे कोई वहाँ नहाएँ।
शव सरिता में नहीं बहाएँ।।
कफ़न फूल क्यों जल में डालें।
दूषण से क्या नाम कमा लें??
आड़ धर्म की कभी न लाएँ।
शव सरिता में नहीं बहाएँ।।
सबसे उत्तम मृतक जलाएँ।
भले नदी में खूब नहाएँ।।
मल - मल साबुन नहीं लगाएँ।
शव सरिता में नहीं बहाएँ।।
आओ इस पर आज विचारें।
सरिताओं के दोष सँवारें।।
डालें नहीं मृतक पशु गायें।
शव सरिता में नहीं बहाएँ।।
शुभमस्तु !
27.06.2025●9.30 आ० मा०
●●●
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें