मंगलवार, 24 जून 2025

वचन आठवाँ भी अब सुन लो [ नवगीत ]

 268/2025

 


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


वचन आठवाँ भी

अब सुन लो 

बिना न इसके ब्याह।


सहधर्मी की 

संगधर्मिणी 

देना देकर कान

पति की हत्या

नहीं करोगी

धरो हृदय में ध्यान

होगी वरना

लाल चदरिया

तेरी कालिख स्याह।


कामिनि बनकर

हनीमून पर

या जीवन की धार

पति का हनन

नहीं तुम करना

सदा समझना प्यार

किसी और से

आँख लड़ाकर

करो न पति से डाह।


पड़ा दाग जो 

एक बार भी

धुले न जन्मों सात

शूकर योनि 

मिलेगी तुझको

किया अगर जो घात

एक बार जो

आग जली तो

होगा सब कुछ स्वाह।


शुभमस्तु !


20.06.2025●2.30प०मा०

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