रविवार, 29 जून 2025

मृदा तत्त्व धरती कहलाए [बालगीत]

 299 /2025


   


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मृदा    तत्त्व     धरती     कहलाए।

धारण   करे     बीज      उपजाए।।


मत     मिट्टी   की     निंदा   करना।

उड़े    रेत   आँखों      में    गिरना।।

नए     -  नए       पौधे     पनपाए।

मृदा   तत्त्व     धरती     कहलाए।।


मिट्टी     में     ही       रँग    बहुतेरे।

गेंदा    कमल       गुलाब     घनेरे।।  

आम    ईख    फल   अन्न  सुहाए।

मृदा  तत्त्व    धरती       कहलाए।।


कहते   मिट्टी     से   तन    बनता।

और   अंततः    उसमें     मिलता।।

महिमा  इसकी  कही    न    जाए।

मृदा  तत्त्व     धरती     कहलाए।।


रिमझिम - रिमझिम    झरतीं  बूँदें।

हम  बालक  नौ-  नौ     गज  कूदें।।

सौंधी      गंध      धरा    से   आए।

मृदा     तत्त्व    धरती    कहलाए।।


मिट्टी     ईंट     मकान      बनाती।

जीवन का   हर   साज   सजाती।।

मधु से   भरे    आम   फल   लाए।

मृदा     तत्त्व     धरती    कहलाए।।


शुभमस्तु !


28.06.2025●2.00प०मा०

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