313 /2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
अंधों का विश्वास न अंधा।
खुली आँख वालों का धंधा।।
ठगे जा रहे भोलेभाले।
देख - देख करतब मत वाले।।
है मजबूत इन्हीं का कंधा।
अंधों का विश्वास न अंधा।।
मजबूरी क्या कुछ न कराए।
ठगे जा रहे निजी पराए।।
फँसा गले में जीवन बंधा।
अंधों का विश्वास न अंधा।।
तंत्र - मंत्र का झूठ बहाना।
माला - माल ढोंगपन नाना।।
बचा न इनसे कोई जिंदा।
अंधों का विश्वास न अंधा।।
रँगे वसन ले कंठी माला।
धन दौलत का नित घोटाला।।
माथे तिलक बड़ा - सा बिंदा।
अंधों का विश्वास न अंधा।।
आओ इनकी करें सफाई।
बनें न मूरख लोग - लुगाई।।
बड़ा कठिन है इनका फंदा।
अंधों का विश्वास न अंधा।।
शुभमस्तु !
29.06.2025●3.00प०मा०
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