रविवार, 29 जून 2025

जग की शोभा पेड़-लताएँ [बालगीत]

 304/2025


    

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


जग     की    शोभा    पेड़ - लताएँ।

अधिकाधिक  हम     पेड़    उगाएँ।।


जहाँ    पेड़    हों    शांति     समाए।

छाया     मिले    अतिथि   ठहराए।।

रहते      खग   पशु      भैंसें    गायें।

जग   की     शोभा   पेड़  - लताएँ।।


न    हो   अकाल    न   सूखा  कोई।

धरा     नहाए     सजल    भिगोई।।

देख   छाँव   मन   खो - खो   जाए।

जग  की    शोभा    पेड़ -  लताएँ।।


डाल  -   डाल    पर     बैंठे    पक्षी।

वही     हमारे     नित    अभिरक्षी।।

मधुर - मधुर फल  हम  सब  खाएँ।

जग     की    शोभा    पेड़- लताएँ।।


जहाँ     पेड़     हों    वर्षा     होती।

झड़ें    मेघ    से    जल  के  मोती।।

लगती       हैं   मनहर    कविताएँ।

जग  की    शोभा     पेड़ - लताएँ।।


चलो     सड़क   पर      पौधे   रोपें।

बातों   की   हम    चला   न  तोपें।।

धरती    को   तरु     से     हरियाएँ।

जग  की   शोभा     पेड़ -   लताएँ।।


शुभमस्तु !


29.06.2025●6.00आ०मा०

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