रविवार, 29 जून 2025

पों-पों पीं-पीं करती लारी [ बालगीत ]

 306/2025



©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


पों - पों   पीं - पीं     करती   लारी।

ट्रक    कारों   के     वाहन   भारी।।


नहीं        चैन    से      रहने    देते।

कान      फोड़ते    वाहन      जेते।।

शोर     प्रदूषण     की     बीमारी।

पों - पों  पीं - पीं  करती     लारी।।


मानक   हो   ध्वनि- विस्तारण का।

बनें   निवारक  अति    वादन  का।।

बने    नहीं    जन    की    लाचारी।

पों - पों   पीं- पीं      करती  लारी।।


कानों     की     अपनी    सीमा  है।

नहीं अवधि  का  ध्वनि - बीमा  है।।

कानों  को   ध्वनि   लगती   खारी।

पों-पों     पीं-पीं     करती    लारी।।


ध्वनिज - स्वच्छता    को  अपनाएँ।

सेहत  सजा   सहज    सुख पाएँ।।

करें    जागरण      होश     सँवारी।

पों -पों    पीं - पीं    करती   लारी।।


सभी    स्वार्थ     में   खोए   इतने।

परहित    के    मिलते   हैं  सपने।।

ध्वनि    से   गिरते   महल अटारी।

पों - पों पीं - पीं     करती    लारी।।


शुभमस्तु !


29.06.2025●8.00आ०मा०

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