शुक्रवार, 27 जून 2025

सदा स्वच्छता का वरदान [ बालगीत ]

 281/2025


  


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


सदा       स्वच्छता    का    वरदान।

देते     हैं         सबके      भगवान।।


खिलते   फूल    महकतीं   कलियाँ।

अमराई  की     उझकें     गालियाँ।।

सजता     मेरा         बाग     महान।

सदा     स्वच्छता     का    वरदान।।


स्वच्छ  वस्त्र   ही   तन   पर   धारें।

सब     रोगाणु     देह    के   मारें।।

सोएँ      फैला     पाँव       उतान।

सदा   स्वच्छता      का    वरदान।।


ऋतुओं      के    अनुकूल   नहाएँ।

नित्य  नहा  तन    स्वच्छ   बनाएँ।।

तुरत      ताजगी     बने      प्रमान।

सदा     स्वच्छता   का     वरदान।।


स्वेद   बहाता    परिश्रम   तन  का।

भाव बदल जाता    है   मन   का।।

श्रमिक बंधु   या    मित्र   किसान।

सदा    स्वच्छता    का    वरदान।।


देखो    श्वेत   कमल     माता  का।

निर्मल वसन    ईश   ध्याता  का।।

'शुभम्' कहे    यह   मान    प्रमान।

सदा    स्वच्छता  का      वरदान।।


शुभमस्तु !


26.06.2025●10.45 आ०मा०

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