सोमवार, 30 जून 2025

चादर अपनी सभी निहारें [बालगीत]

 319/2025


 

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


 चादर    अपनी     सभी     निहारें।

चरित -  चाँदनी     नहीं     उजारें।।


कब    मैली      चादर    हो    जाए।

पता  न   इसका    लगने      पाए।।

देख  न    दौलत    अपनी     कारें।

चादर    अपनी     सभी     निहारें।।


छेड़छाड़      या      चोरी     कामी।

चरित -चदरिया   विशद    इनामी।।

गबन    मिलावट      की   दरकारें।

चादर  अपनी       सभी    निहारें।।


नर  - नारी    तक   इसकी   सीमा।

नहीं    चरित    आजीवन   बीमा।।

बहतीं  हैं   बहु     सघन     फुहारें।

चादर    अपनी     सभी    निहारें।।


नहीं     दूध   का     कोई    धोया।

दुश्चरिता    के   संग    न   सोया।।

दुष्चरित्र      की     सदा     बहारें।

चादर    अपनी     सभी    निहारें।।


आओ     धो लें     मैल    चदरिया।

स्वच्छ रहें  गिरि   घर  या   दरिया।।

अपने मन   की     कालिख   जारें।

चादर     अपनी     सभी    निहारें।।


शुभमस्तु !


30.06.2025●6.30 आ०मा०

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