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©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
फेंकें मत कचरा उस द्वार।
उचित नहीं ऐसा व्यवहार।।
अपना कचरा आप संभालें।
कचरा पड़े वहीं पर डालें।।
रोगों से लें स्वयं उबार।
फेंकें मत कचरा उस द्वार।।
जहाँ स्वच्छता लेती श्वास।
करते हैं भगवान निवास।।
रहना सदा सँभल कर यार।
फेंकें मत कचरा उस द्वार।।
सभी चाहते साफ - सफाई।
इसमें भी कुछ नहीं बुराई।।
मिटे नहीं आपस का प्यार।
फेंको मत कचरा उस द्वार।।
अपने जैसा सबको जानें।
नहीं श्रेष्ठ अपनी ही तानें।।
नहीं किसी से करना रार।
फेंको मत कचरा उस द्वार।।
कचरे में रोगाणु पनपते।
हमला करते रोग सुलगते।।
सदा स्वच्छता सहज उतार।
फेंको मत कचरा उस द्वार।।
शुभमस्तु !
26.06.2025 ●9.45आ०मा०
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