शुक्रवार, 27 जून 2025

समय -समय पर बाल कटाएँ [बालगीत]

 284/2025


   


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


समय  - समय     पर  बाल  कटाएँ।

अधिक    नहीं     नाखून    बढ़ाएँ।।


बाल - वृद्धि     की   सीमा    होती।

नहीं    चैन    की    माला    पोती।।

केश    लता -  से   क्यों    लहराएँ।

समय - समय  पर  बाल   कटाएँ।।


छोटे     बाल    शीघ्र   धुल   जाते।

नहीं    साँप - से     वे      गहराते।।

नर    -  नारी    का   भेद   मिटाएँ।

समय -  समय   पर  बाल कटाएँ।।


तेल     डालते       धूल   पकड़ते।

असमय झड़ें   कभी  वे   पकते।।

गर्दन   से   वे  सट   -  सट जाएँ ।

समय  -समय पर  बाल   कटाएँ।।


उलझ - उलझ   कर   हमें  सताते।

लंबे  बाल       मुश्किलें      लाते।।

आधा     एक    इंच    रह    जाएँ।

समय - समय पर    बाल  कटाएँ ।।


नहीं     बाल       जो     कटवाएँगे।

नाई       भूखे     मर        जाएँगे।।

अगर  बढ़े    हों    तुरत    सिधाएँ।

समय -  समय पर  बाल   कटाएँ।।


शुभमस्तु !


26.06.2025●1.15 प०मा०

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