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©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
समय - समय पर बाल कटाएँ।
अधिक नहीं नाखून बढ़ाएँ।।
बाल - वृद्धि की सीमा होती।
नहीं चैन की माला पोती।।
केश लता - से क्यों लहराएँ।
समय - समय पर बाल कटाएँ।।
छोटे बाल शीघ्र धुल जाते।
नहीं साँप - से वे गहराते।।
नर - नारी का भेद मिटाएँ।
समय - समय पर बाल कटाएँ।।
तेल डालते धूल पकड़ते।
असमय झड़ें कभी वे पकते।।
गर्दन से वे सट - सट जाएँ ।
समय -समय पर बाल कटाएँ।।
उलझ - उलझ कर हमें सताते।
लंबे बाल मुश्किलें लाते।।
आधा एक इंच रह जाएँ।
समय - समय पर बाल कटाएँ ।।
नहीं बाल जो कटवाएँगे।
नाई भूखे मर जाएँगे।।
अगर बढ़े हों तुरत सिधाएँ।
समय - समय पर बाल कटाएँ।।
शुभमस्तु !
26.06.2025●1.15 प०मा०
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